Education
Education blog is very important for childrens as well as adults because it the most important part of our life .Without education we all are nothing .
बुधवार, 11 मार्च 2020
मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020
सुकून और खुशी की चाहत हर किसी को होती है पर यह तभी मिल सकती है , जब अति महत्वाकांक्षा से बचने की कोशिश करते हुए जीवन को सरल किया जाए।
बचपन को देखकर हर कोई खुश होता है , हर कोई बच्चा बन जाना चाहता है अपने बचपन के दिनो मे लौट जाना चाहता है , शायद इसलिए बचपन में न कोई फिक्र होती है, न कोई गम ।
हम खुशी को प्राय: बाहर ही तलाशते है जबकि यह हमारे भीतर ही होती है अपने पर भरोसा रख कर निरंतर स्वयं को आगे बढ़ाने की कोशिश करे तो जीवन मे हर पल, हर दिन उत्साह बना रहेगा '
धन्य
शुक्रवार, 11 मई 2018
श्रेष्ठता।
श्रेष्ठता।
अक्सर जो चीजें आप प्लान करते हैं वे हुबहु नही होती। ऐसा सबके साथ होता है। कामयाबी सबके हिस्से में नहीं आती , अगर मिलती है तो उसका सम्मान करना चाहिए । यह भी सच है कि हर कार्य करने की योग्यता सब में नहीं होती , लेकिन कई बार कड़ी मेहनत करके टैलेंट को विकसित किया जा सकता है।
जिंदगी की चुनौतियों में कभी आप जीतेंगें तो कभी हार जाएंगे। आपको जीत का आनंद उठाना चाहिए। श्रेष्ठता कोई मंजिल नही बल्कि एक सफर है। रचनात्मकता को कई बार दूसरे क्षेत्रो की प्रेरणा की जरूरत होती है। असल में श्रेष्ठता और रचनात्मकता एक साथ आगे बढ़ती है। दोनों को साथ लेकर ही आप तरक्की कर सकते है।
अक्सर जो चीजें आप प्लान करते हैं वे हुबहु नही होती। ऐसा सबके साथ होता है। कामयाबी सबके हिस्से में नहीं आती , अगर मिलती है तो उसका सम्मान करना चाहिए । यह भी सच है कि हर कार्य करने की योग्यता सब में नहीं होती , लेकिन कई बार कड़ी मेहनत करके टैलेंट को विकसित किया जा सकता है।
जिंदगी की चुनौतियों में कभी आप जीतेंगें तो कभी हार जाएंगे। आपको जीत का आनंद उठाना चाहिए। श्रेष्ठता कोई मंजिल नही बल्कि एक सफर है। रचनात्मकता को कई बार दूसरे क्षेत्रो की प्रेरणा की जरूरत होती है। असल में श्रेष्ठता और रचनात्मकता एक साथ आगे बढ़ती है। दोनों को साथ लेकर ही आप तरक्की कर सकते है।
गुरुवार, 10 मई 2018
ज्ञान की थाह ।
ज्ञान की थाह ।
एक दिन स्वामी शंकराचार्य समुद्र किनारे बैठकर अपने शिष्यों
यो से वार्तालाप कर रहे थे। एक शिष्य ने चाटुकारिता भरे शब्दो मे कहा -"गुरुदेव आपने इतना अधिक ज्ञान प्राप्त कर लिया है, मेरे विचार से आप से अधिक ज्ञानी और कोई नहीं होगा।"
"मेरे पास ज्ञान का सागर है ,यह तुम्हे किसने बताया ? मुझे तो ज्ञान मे ओर वृद्धि करनी है ।" शंकराचार्य जी बोले।
फिर उन्होने अपने हाथ के डण्डे को पानी मे डुबो कर बाहर निकाला और उसका छोर शिष्य को दिखाते हुए बोले," इस दंड को जल मे डुबो ने पर इसने मात्र कुछ बूंदे ही जल की ग्रहण की । यही बात ज्ञान के विषय में है।
ज्ञानी कभी भी भरता नहीं है। ज्ञान ग्रहण करने पर बढ़ता जरूर है।"
यह सुनकर शिष्य ने लज्जा से सिर झुका लिया ।
धन्यवाद । ।
एक दिन स्वामी शंकराचार्य समुद्र किनारे बैठकर अपने शिष्यों
यो से वार्तालाप कर रहे थे। एक शिष्य ने चाटुकारिता भरे शब्दो मे कहा -"गुरुदेव आपने इतना अधिक ज्ञान प्राप्त कर लिया है, मेरे विचार से आप से अधिक ज्ञानी और कोई नहीं होगा।"
"मेरे पास ज्ञान का सागर है ,यह तुम्हे किसने बताया ? मुझे तो ज्ञान मे ओर वृद्धि करनी है ।" शंकराचार्य जी बोले।
फिर उन्होने अपने हाथ के डण्डे को पानी मे डुबो कर बाहर निकाला और उसका छोर शिष्य को दिखाते हुए बोले," इस दंड को जल मे डुबो ने पर इसने मात्र कुछ बूंदे ही जल की ग्रहण की । यही बात ज्ञान के विषय में है।
ज्ञानी कभी भी भरता नहीं है। ज्ञान ग्रहण करने पर बढ़ता जरूर है।"
यह सुनकर शिष्य ने लज्जा से सिर झुका लिया ।
धन्यवाद । ।
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