शनिवार, 2 दिसंबर 2017

क्षमा वरदान है।

         क्षमा वरदान।

भोजन में अौर सब कुछ हो,पर नमक न हो तोभोजन बेकार है।
मंदिर मे सब कुछ हो,पर मूर्ति न हो तो बेकार है। अस्पताल मे
सब कुछ हो, पर डॉ० न हो तो अस्पताल बेकार है। गाड़ी मे सब कुछ हो पर ब्रेक न हो तो गाड़ी बेकार है।

     ठीक इसी तरह जीवन में और सब कुछ हो,पर आपस में
एक दूसरे को माफ करने की आदत न हो तो घर -परिवार सब
बेकार है।  क्रोध जहर है, क्षमा अमृत है। इसिलिए कहते हैकि
"क्षण भर की चुप्पी ,दिन भर की मस्ती।"

    क्रोध मनुष्य को जला देता है,क्षमा बड़ी चीज है। क्षमा प्रेम का परिधान है,विश्वास का विधान है,सृजन का सामान है, और नफरत का निदान है।

"दोष न मुख को दीजिए , दोषी है व्यवहार।
       समता के व्यवहार से,मिलता है सत्कार।।

मुख की रक्षा कीजिए ,मौन बड़ा हथियार। एक चुप सौ को हरा,उत्तम यह व्यवहार।।


     धन्यवाद।

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