रविवार, 31 दिसंबर 2017

।। नववर्ष ।।

  ।। नववर्ष।।

अचानक ही पुराने कलैण्डर पर नजर गई तो देखा इस साल के दो दिन ही शेष रह गए है, नया साल आने वाला है। लोग नए साल के स्वागत के लिए उत्साहित है। पार्टिया ,नाच -गाने आदि का आयोजन जगह-जगह दिखाई देता है। हर कोई उम्मीद करता है कि आने वाला वर्ष  उसके के लिए अपार खुशियाँ लेकर आए। हम पुरे साल उत्साहित अौर  उर्जावान
बने रहे ।

क्या वास्तव मे हम पुरे साल उतने ही उर्जावान बने रहते है ?
जितना कि हम नववर्ष के स्वगात के लिए उत्साहित रहते है ।
हम तो नववर्ष से  बहुत उम्मीदे रखते है, परन्तु कभी सोचा है,
कि नया साल भी तुमसे कुछ चाहता है।

वह चाहता है कि मै जब भी मनुष्य के जीवन मे नया बनकर
जाऊँ, मेरे हर पल ,हर क्षण ,हर प्रभात का मनुष्य इसी उल्लास के साथ स्वागत करता हुआ मिले।
केवल मनुष्य जीवन ही नहीं,इस संसार का प्रत्येक जीवन,
मेरे लिए नित्य नया उपहार लेकर आता रहे।

जीवन का हर प्रभात एक सच्चे मित्र की तरह होता है। हर प्रभात यही चाहता है कि जब मैं किसी के जीवन में जाऊँ तो
वो मेरे हर पल का, हर क्षण का इसी तरह स्वागत।करे, उनका
एक कदम आगे बढ़ा हुआ मिले। वो कभी भी हारा हुआ या
उदास ना मिले।

इसीलिए हर प्रभात, सुप्रभात।
धन्यवा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किताबें

गुरू