भारत एक ग्रामीण प्रधान देश है। गाँवो में परिवार बस्ते है। परिवारो में रिश्ते बनते है या यूँ कहे कि रिश्तो से परिवार बनते है और परिवार से समाज और गाँव। रिश्तो को पौधो की तरह धैर्य,प्रेम सर्मपण और आत्मीयता के जल से सींचना होगा , वरना वे मुरझा सकते हैं। किसी ने कहा है कि रिश्ते छः चीजों से चलते हैं-आना , जाना, खाना, खिलाना ,लेना और देना। परंतु मै यह मानती हूँ कि रिश्ते चीजो से नहीं , धैर्य, प्रेम , समर्पण और आत्मीयता से निभाते है , चलते नहीं ।
अफसोस कि आज हमारे पास साधन तो है परंतु साधना नहीं है, इसीलिए रिश्ते बेमौत मर रहे है।
धन्यवाद ।।🙏🙏
अफसोस कि आज हमारे पास साधन तो है परंतु साधना नहीं है, इसीलिए रिश्ते बेमौत मर रहे है।
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