गुरुवार, 17 अगस्त 2017

 जब परमात्मा मेरे पिता, गुरू, मार्ग- दर्शक है तो इस दुनिया में मुझे किसका डर है।

               हमारीकोई सुनता नहीं, कहते

                                                     कहते थक गए पर सुनने वाला कोई मिला ही नहीं ,अर्थात जिनसे कहा जाता है उन पर हमारी बात का कोई असर ही नहीं ।
मेरी राय में इसमे सुनने वाले से अधिक दोष कहने वाले का है।
कहने वाले करना नहीं जानते।
वे अपनी ओर देखे ।वचन की सफलता का सारा  श्रेय कर्मशीलतामेंहै।आप चाहे बोले नहीं,थोड़ाही बोले पर अपने कार्य में जुट जाइए। आप थोड़े ही दिनो में देखेंगें कि लोग बिना कहे ही आपकी  ओर  आ रहे हे।। अतः  कहिये कम , करिए अधिक ।
क्योंकि  काम बोलता है।
(👍👍👍👍

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