बुढ़ापा ।
जिन्दगी में एक वक्त ऐसा आता है, जब लगता है कि हमारी अब किसी को जरूरत नहीं । बुर्जग अक्सर ऐसा कहते हैं।
बुढ़ापा शब्द कानो में गूंजते ही जो एक तस्वीर हमारे मानस पटल पर उभरती है, वह एक जर्जर ,लाचार, बीमार , खाट पर पड़ी जिन्दगी। कितनी चुभन है इन शब्दो में ।
बूढ़ा कहने की अपेक्षा बुर्जग कहना बुढ़ापे का सौम्य चित्रण है।
वृद्ध का अर्थ है विकासशील । वृद्ध नागरिक अनुभव व ज्ञान का महाकोष है। हमारे जीवन की तमाम छोटी बड़ी समस्याओ का हल उनकी अनुभव की पोटली में आसानी से मिल जाते है। क्योंकि हमने तो अभी जीना शुरू किया है आैर वे जीवन जी चुके।
परिवार के बुर्जग सदस्य ये कभी नहीं चाहेंगे कि जीवन के जिन कड़वे अनुभवो को उन्होंने जिया है,उनको उनकी संताने भी जिए। इसलिए वे हर बात पर नसीहत देते रहते है । जो आज की पीढ़ी को कम ही सहनीय होती है।
उनके सिर के सफेद बाल ,चेहरे की झुरिया उनके बुढ़ापे की परिचायक नहीं बल्कि उनकी परिपक्वता की घोतक है वे निहायत ही अनुभवो का अनोखा खजाना है । हमें उनका अनादर ना करके उनसे जीवन के सूत्र सीखने चाहिए ।
धन्यवाद।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें