भाषा ।
'भाषा ' शब्द के बारे में आप सभी जानते है । आप ये भी जानते है कि 'भाषा' विचारो के आदान-प्रदान का सशक्त
माध्यम है । दुनिया मे अनेक तरह की भाषाएँ और बोलियाँ
बोली जाती है, जिनसे हम अपने विचारो को दूसरो तक
पहुँचाते है ।
आप भाषा के रूपो के बारे मे भी जानते है जैसे -लिखित,
मौखिक, सांकेतिक आदि । क्या आप इनके अलावा भाषा
के दो अन्य रूपो के बारे मे भी जानते है? नहीं ना! वो दो
अन्य रूप है:- मृदुभाषा आैर मीठीभाषा ।
दुनिया मे हम किसी भी भाषा मे बात करे , इन दोनो रूपो
से हमारे व्यक्तित्व को पहचान मिलती है । हम अपनी भाषा-
बोली से दूसरो द्वारा पहचाने जाने जाते है । अंहकार, ईर्ष्या, द्वेष ,और क्रोध हमारे सद्व्यवहार और मधुरवाणी के शत्रु है ।
आपके बतचीत करने का ढंग इस प्रकार होना चाहिए कि एक
बार जो आपसे मिले , वह आपका ही होकर रह जाए ।
"ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय ।
औरन को शीतल करे आपहुँ शीतल होय "
धन्यवाद ।
'भाषा ' शब्द के बारे में आप सभी जानते है । आप ये भी जानते है कि 'भाषा' विचारो के आदान-प्रदान का सशक्त
माध्यम है । दुनिया मे अनेक तरह की भाषाएँ और बोलियाँ
बोली जाती है, जिनसे हम अपने विचारो को दूसरो तक
पहुँचाते है ।
आप भाषा के रूपो के बारे मे भी जानते है जैसे -लिखित,
मौखिक, सांकेतिक आदि । क्या आप इनके अलावा भाषा
के दो अन्य रूपो के बारे मे भी जानते है? नहीं ना! वो दो
अन्य रूप है:- मृदुभाषा आैर मीठीभाषा ।
दुनिया मे हम किसी भी भाषा मे बात करे , इन दोनो रूपो
से हमारे व्यक्तित्व को पहचान मिलती है । हम अपनी भाषा-
बोली से दूसरो द्वारा पहचाने जाने जाते है । अंहकार, ईर्ष्या, द्वेष ,और क्रोध हमारे सद्व्यवहार और मधुरवाणी के शत्रु है ।
आपके बतचीत करने का ढंग इस प्रकार होना चाहिए कि एक
बार जो आपसे मिले , वह आपका ही होकर रह जाए ।
"ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय ।
औरन को शीतल करे आपहुँ शीतल होय "
धन्यवाद ।
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