
किसी भी महापुरूष की जीवनी में , उन्होंने क्या किया, इसी का कथानक रहता है । कोई व्यक्ति सिर्फ अपना और अपने
परिवार का का ही निर्वाह करता रहे तो उसे परिवारवाले भी
स्मरण नहीं रखते । महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का नाम आज भी सब जानते हैं, प र क्या हम अपने ही उन पूर्वजो के
बारे में जानते हैं, जो सिर्फ सौ साल पहले ही हुए थे? दरअसल
याद उसी को किया जाता है, जाे औरों के लिए जीता है ।
आज समाज एवं देश की निगाहें सिर्फ युवाशक्ति की और ही
केनिद्रत है । आज युवाशक्ति जिस वातावरण में रह रही है,वे
सब बातें जीवन के प्रतिकूल है। दूरदर्शन एवं सभी समाचार
माध्यमों में धम्रपान ,मदिरापान,वासना,हिंसा,बलात्कार आदि
दृश्यो की भरमार है । लगता है जीने की कला का आधार ही
बदल रहा है
जीवन एक एक क्षण से बना है । समय को सुकार्य में लगाना
चाहिए इसका युवाशक्ति को हमेशा ध्यान रखना चाहिए।
सेवा ही परम धर्म है युवा पीढ़ी को चाहिए कि वह अपने भीतर मौजूद शक्तियों और योग्यताओं को पहचाने और उनका सदुपयोग कहीं ।
धन्यवाद ।
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