प्रतिभा ।।
महान दार्शनिक सुकरात ने कहा है कि"जीवन का आनंद
स्वयं को जानने में हैं।" स्वयं का निरीक्षण करना , अपनी प्रतिभा को पहचानना और उसका निरतंर विकास करना।
वास्तव मे यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए । आप अब तक सफल हुए लोगो में से किसी की भी जीवनी उठा कर पढ़ लीजिए ,उनमे एक बात समान है और वह यह कि उन्होंने अपनी प्रीतभा को पहचाना और केवल उसी पर ध्यान दिया ।
प्रकृति ने हम सभी को अलग-अलग बनाया है। सभी एक दूसरे से भिन्न है और सभी के अन्दर एक विशेष गुणहोता है
। हममें से ज्यादातर लोग अपनी योग्यतओं और प्रतिभाओं
का विकास करने की बजाय उन्हें दबा देंते है ।
दोस्तो, जिन्दगी सिर्फ एक बार ही मिलती है। अगर आप चाहते हैं तो फिर जाे आपका पैशन है उसे अपना प्राफेशन
बनाइए । शुरुआती दौर मे कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है,पर अंततः आपका जीवन खुशियों से भर जाएगा ।
धन्य
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें