रविवार, 1 अक्टूबर 2017

संचय ।।

       संचय।
महान सम्राट सिकन्दर ने जीवन में विपुल सम्पदा एकत्रित की थी । मरने लगा तो इसने सारा खजाना आँखो के सामने खुलवा कर रखा । दरबारियों से कहा किऐसा उपाय करो कि
यह सारा इसी रूप में मेरे साथ परलोक जा सके?

बहुत सोचने पर भी ऐसा कोई उपाय न निकल सका । तब
सिकन्दर ने अपनी मृत्यु के समय जनाजे में से दोनों हाथ खुले
और बाहर रखने की व्यवस्था की, ताकि लोग समझ सकें कि मनुष्य खाली हाथ आता है और उसे खाली हाथ ही जाना पड़ता है । कफन में जेब नहीं होती ।

इससे यह भी शिक्षा मिलती है कि अनावश्यक संचय के लिए
कोई पापकर्म न करें । आज तक किसी भी जाती धर्म का
व्यक्ति ऐसा नही है जो मरते समय सब कुछ साथ ले गया हो ।
जितना समय अनावश्यक संग्रह के लिए लगाया जाता है उतना यदि सत्कर्म में लगाया जा सके तो उससे लोक परलोक
दो

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