अधूरापन ।।
हर मनुष्य अपने आप को अधूरा समझता है। सब कुछ हासिल कर लेने के बाद भी उसे अपने जीवन मे खालीपन महसूस होता रहता हैै ।
हर मनुष्य अधूरा है अौर उसे पूर्णता की यात्रा करनी ही पड़ती है। हम अपने जीवन से कभी संतुष्ट नहीं हो पाते , हमारी बहुत सारी इच्छाएँ होती है,हम बहुत कुछ पाना चाहते है ।
जीवन इतना बड़ा है कि हम उसे समझ ही नही पाते ,हर इंसान अपने जीवन के खालीपन को भरने के सब कुछ करता है फिर भी न जाने क्यो जीवन के अंतिम पड़ाव मे वह यह ही महसूस करता है कि अभी तो मुझे बहुत कुछ करना था
इस अधूरेपन को हम योग अोर परमार्थ के द्वारा ही भर सकते है ।
धन्यवाद।
हर मनुष्य अपने आप को अधूरा समझता है। सब कुछ हासिल कर लेने के बाद भी उसे अपने जीवन मे खालीपन महसूस होता रहता हैै ।
हर मनुष्य अधूरा है अौर उसे पूर्णता की यात्रा करनी ही पड़ती है। हम अपने जीवन से कभी संतुष्ट नहीं हो पाते , हमारी बहुत सारी इच्छाएँ होती है,हम बहुत कुछ पाना चाहते है ।
जीवन इतना बड़ा है कि हम उसे समझ ही नही पाते ,हर इंसान अपने जीवन के खालीपन को भरने के सब कुछ करता है फिर भी न जाने क्यो जीवन के अंतिम पड़ाव मे वह यह ही महसूस करता है कि अभी तो मुझे बहुत कुछ करना था
इस अधूरेपन को हम योग अोर परमार्थ के द्वारा ही भर सकते है ।
धन्यवाद।