बुधवार, 8 नवंबर 2017

।। डर ।।

आज आवश्यकता है जीवन की सत्यता , सादगी, सेवा भावना , प्रेम ,भाईचारा , सामाजिक , समरसता ,एकता जागरूकता ,व निरंतरता की। हम अक्सर किसी काम को शुरु करने से पहले ही उसे कठिन मान बैठते हैं। इसलिए हम उस काम में पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पाते।

मैंने अपने अनुभव से यह जाना है कि डर का न होना साहस नहीं है, बल्कि डर पर विजय पाना साहस है। बहादूर वह नहीं है तो भयभीत नहीं होता , कभी डरता रहीं , बल्कि बहादूर वह है जो इस डर को परास्त करता है। यह शारीरिक बहादुरी से तो कम,लेकिन मानसिक बहादुरी से ज्यादा संभव है।

क्या कभी किसी ने सोचा कि एक व्यक्ति जो चाहता था उसे क्यों नहीं मिला। जबकि उसके पास प्रतिभा , शक्ति , धीरज और प्रतिबद्धता थी? उसके पास यह सब कुछ था, लेकिन उसके भीतर एक डर था, जिससे वह हमेशा हारता रहा। इसलिए इस डर से बचे और इस पर काबू पाएं।

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