समाज सेवा
समाज सेवा कितना प्यारा नाम है। हर इंसान समाज का सेवक बन कर सेवा करना चाहता है। इंसान का यह बहुत अदअच्छा भाव है।
सेवा करने के चार माध्यम हे। तन , मन, धन और समय ।
यह जरूरी नहीं कि ये चारो साधन सभी के पास उप्लब्ध हो।
किसी के पास तन मन धन तो है पर समय नहीं है।
किसी के पास तन,मन व समय है पर धन नहीं है।
किसी के पास मन व धन तो है पर समय नहीं है।
सेवा किसी भी माध्यम से की जा सकती है । सेवा के लिए सबसे जरूरी है निष्ठा, निस्वार्थता, निष्पक्षता ।
जो काम करेगा उसे शाबाशी कम आलोचना ज्यादा मिलेगी ।
आलोचना से नाराज नहीं होना चाहिए । आलोचना को अपनी सेवा का पुस्कार मान कर सहर्ष स्वीकार करो
आलोचक का धन्यवाद कहो कम से कम उसने हमारी सेवा का मुल्यांकन तो किया
धन्यवादा ।
समाज सेवा कितना प्यारा नाम है। हर इंसान समाज का सेवक बन कर सेवा करना चाहता है। इंसान का यह बहुत अदअच्छा भाव है।
सेवा करने के चार माध्यम हे। तन , मन, धन और समय ।
यह जरूरी नहीं कि ये चारो साधन सभी के पास उप्लब्ध हो।
किसी के पास तन मन धन तो है पर समय नहीं है।
किसी के पास तन,मन व समय है पर धन नहीं है।
किसी के पास मन व धन तो है पर समय नहीं है।
सेवा किसी भी माध्यम से की जा सकती है । सेवा के लिए सबसे जरूरी है निष्ठा, निस्वार्थता, निष्पक्षता ।
जो काम करेगा उसे शाबाशी कम आलोचना ज्यादा मिलेगी ।
आलोचना से नाराज नहीं होना चाहिए । आलोचना को अपनी सेवा का पुस्कार मान कर सहर्ष स्वीकार करो
आलोचक का धन्यवाद कहो कम से कम उसने हमारी सेवा का मुल्यांकन तो किया
धन्यवादा ।
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