जरा देखिए तो....
घर तो हमारे बड़े हो गए ,पर परिवारछोटे ।
सुविधाएँ बढ़ गई ,लेकिन समय कम ।
हमारे पास डिग्रियाँ तो बहुत हैं ,पर समझदारी नहीं हैं।
जानकारी ज्यादा है ,लेकिन अक्ल कम ।
दवाएँ तो बहुत हैं, लेकिन स्वास्थ्य नहीं ।
हम चाँद पर तो हो आए हैं, पर सड़क पार के नए पडोसियों से मिलने से हमें कठिनाई होती है।
वस्तुओ की मात्रा तो बढ़ती जा रही है, पर गुणवता नहीं ।
भोजन तो तुरन्त प्राप्त हो जाता है, पर पाचन नहीं ।
मनुष्य खुद तो लम्बा चौड़ा है, पर चरित्र उसका ओछा है ।
मुनाफा खूब बढ़ रहा है, पर सम्बन्ध तार तार होते जा रहे है।
खिड़की से तो बहुत कुछ दिखता है, पर कमरा खाली है।
धन्यवाद ।
घर तो हमारे बड़े हो गए ,पर परिवारछोटे ।
सुविधाएँ बढ़ गई ,लेकिन समय कम ।
हमारे पास डिग्रियाँ तो बहुत हैं ,पर समझदारी नहीं हैं।
जानकारी ज्यादा है ,लेकिन अक्ल कम ।
दवाएँ तो बहुत हैं, लेकिन स्वास्थ्य नहीं ।
हम चाँद पर तो हो आए हैं, पर सड़क पार के नए पडोसियों से मिलने से हमें कठिनाई होती है।
वस्तुओ की मात्रा तो बढ़ती जा रही है, पर गुणवता नहीं ।
भोजन तो तुरन्त प्राप्त हो जाता है, पर पाचन नहीं ।
मनुष्य खुद तो लम्बा चौड़ा है, पर चरित्र उसका ओछा है ।
मुनाफा खूब बढ़ रहा है, पर सम्बन्ध तार तार होते जा रहे है।
खिड़की से तो बहुत कुछ दिखता है, पर कमरा खाली है।
धन्यवाद ।
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