सोमवार, 21 अगस्त 2017

      जरा देखिए तो....

  घर तो हमारे बड़े हो गए ,पर परिवारछोटे ।

  सुविधाएँ बढ़ गई ,लेकिन समय कम ।

हमारे पास डिग्रियाँ तो बहुत हैं ,पर समझदारी नहीं हैं।

जानकारी ज्यादा है ,लेकिन  अक्ल कम ।

  दवाएँ तो बहुत हैं, लेकिन  स्वास्थ्य नहीं ।

  हम चाँद पर तो हो आए हैं, पर सड़क पार के नए पडोसियों से मिलने से  हमें कठिनाई होती है।
 
  वस्तुओ की मात्रा तो  बढ़ती जा रही है, पर गुणवता नहीं ।

    भोजन तो तुरन्त प्राप्त हो जाता है, पर पाचन नहीं ।

    मनुष्य खुद तो लम्बा चौड़ा है, पर चरित्र उसका ओछा है ।

     मुनाफा खूब बढ़ रहा है, पर सम्बन्ध  तार तार होते जा रहे है।
 
    खिड़की से तो बहुत कुछ दिखता है, पर कमरा खाली है।



         धन्यवाद ।

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