परिश्रम शील व्यक्ति का मुख मंडल सदैव चमकता हुआ दिखाई देता है। और आलसी व्यक्ति सदैव दुखी व खोटी
क्लपनाओ में फँसा रहता है।
परिश्रमी ही सबसे अधिक सुखी ,प्रसन्न और सन्तुष्ट रहते है
वे भले ही भौतिक संपत्ति ,समृद्धि में बड़े न हों ,किन्तु उनका
आतंरिक धन ,जिससे मानसिक संतोष ,हल्कापन और प्रसन्नता का वे अनुभव करते हैं ,वह संसार की सबसे बड़ी संपत्ति है।
श्रम से ही स्वास्थ्य में सुद्यार होता है। परिश्रमी व्यक्ति थककर अपने बिस्तर पर जाता है और अच्छी नींद सोता है
प्रातः जब वह उठता है तो तरोताजगी ,शक्ति व प्रसन्नता का
अनुभव करता है । आलसी व्यक्ति अनिद्रा मे पड़े हुए सुबह भी आलस्य, चिंता, भारसा महसूस करते हुए उठते है ।
तो फिर याद रखना श्रम से ही जीवन निखरता है ।
धन्यवाद ।
क्लपनाओ में फँसा रहता है।
परिश्रमी ही सबसे अधिक सुखी ,प्रसन्न और सन्तुष्ट रहते है
वे भले ही भौतिक संपत्ति ,समृद्धि में बड़े न हों ,किन्तु उनका
आतंरिक धन ,जिससे मानसिक संतोष ,हल्कापन और प्रसन्नता का वे अनुभव करते हैं ,वह संसार की सबसे बड़ी संपत्ति है।
श्रम से ही स्वास्थ्य में सुद्यार होता है। परिश्रमी व्यक्ति थककर अपने बिस्तर पर जाता है और अच्छी नींद सोता है
प्रातः जब वह उठता है तो तरोताजगी ,शक्ति व प्रसन्नता का
अनुभव करता है । आलसी व्यक्ति अनिद्रा मे पड़े हुए सुबह भी आलस्य, चिंता, भारसा महसूस करते हुए उठते है ।
तो फिर याद रखना श्रम से ही जीवन निखरता है ।
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