बुधवार, 23 अगस्त 2017

सद्गुण बढ़ाएँ । शिष्टाचार अपनाएँ ।

मनुष्य के पास सबसे बड़ी पूँजी सदगुणों की है ।
जिसके पास जितने सद्गुण वहउतना ही बड़ा अमीर ।

लोग गुणो की पूजा करते है ,व्यक्ति की नही सचाई को सिर झुकाते है बनावटीपन को नही। टेसू के फूल  देखने में सुन्दर होते है ,परन्तु खुशबु गुलाब की ही अच्छी  लगती है ।

आपका कोई एक गुण अन्य व्यक्तियो से जितना अधिक होगा,उतना ही अधिक यश आपको मिलेगा

सुकरात बहुत ही कुरुप थे, फिर भी वे सदा दर्पण पास रखते थे। और बार बार अपना चेहरा देखते थे। एक मित्र ने कारण पूछा तो कहा,"सोचता हूँ, इस कुरूपता का प्रतिकार मुझे अधिक अच्छे कार्यो से सन्दरता बढ़ाकर करना चाहिए । इसी बात को याद रखने में दर्पण से सहायता मिलती है। "

दुसरी बात सुकरात ने कही," जो सुदंर है, उन्हें भी दर्पण देखते रहना चाहिए और सीखना चाहिए कि ईश्वर द्वारा प्रदत्त सौदंर्यपर कहीं दुषिवृतियो के कारण दाग धब्बा ना लग जाए।"

 सार यही है कि हम ,सुडौल हो या बेडौल ,  बांटे गुणों की सुगंध।

     धन्यवाद।

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