आत्मबल
द्वितीय महायुद्ध में बर्लिन का पतन हो गया था। जर्मनी भी पूरी तरह हवस्त हो गया था। सारे उद्योग चौपट हो गया थे। बम की मार से जापान की कमर भी टूट गई थी। लेकिन फिर क्या हुआ? जर्मनी ने तरक्की की दिशा में कदम बढ़ाए। राष्ट्र के सभी ल्ग नये उत्साह से अपने देश के पुनः निर्माण में लग गए। परिणाम यह हुआ कि जर्मनी ने कुछ समय में आपनी आर्थिक स्थिति मजबूत बना ली। इसी तरह जापान तो एकदम एटम बम की धूल झाड़कर खड़ा हो गया। उसने नए नग से प्रगति की ओर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दुनिया के बड़े - बड़े दशों को मात दे दी। यह सब कैसे हुआ?
दृढ़ संकल्प ,अच्छे परिणाम की आशा और पूरे उत्साह से काम करने की शक्ति के द्वारा ही इन देशों को सफलता मिली। अब अगर इन दोनों राष्ट्रों के लोग ये सोच लेते कि वे तो बर्बाद हो गए है ,अब कभी न उठ सकेंगे तो वे शायद कभी उन्नति न कर पातें।
इस उदाहरण से स्पष्ट है कि हमें अपना आत्मबल नहीं खोना चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर उसका उपयोग पूरे उत्साह से करना चाहिए।
धमवाद।।।🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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