मौन
जीवन में सफलता पाने के लिए वाणी का संयम बहुत आवश्यक है। महात्मा गांधी प्रायः मौन व्रत किया करते थे। यह संयम रखने का अभ्यास है। सप्ताह में एक दिन या कुछ घंटे मौन रहकर चिंतन कीजिए। आप देखेंगे कि आपके अंदर धीरे - धरे अद्भूत उर्जा का विकास हो रहा है। ज्यादा बोलने वाले व्यक्ति का काफी समय व्यर्थ की महत्वहीन बातो में नष्ट होता है। कब, किस विषय पर बोलना है, इसका विचार करके ही बोलना चाहिए।
"रहिमन जिह्वा बावरी, कह गयी सरग -पतार।
आपन तो भीतर गयी, जूती रगय कपार।।"
रहीम जी ने ठीक ही कहा है कि यह जिह्वा बड़ी ही पागल है,जब बोलती है तो आकाश - पाताल की न जाने कितनी ऊटपटांग बाते बक जाती है। इसलिए जिह्वा पर संयम रखना आवश्यक है।।
धन्यवाद।।।🙏🙏 🙏🙏🙏🙏
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