एकाग्रता ।
एकाग्रता की जब बात की जाती है तो उसका अर्थ यही है कि
कि जिस काम को करना है, या जिस लक्ष्य को प्राप्त करना है
उसके लिए आप अपनी सारी शक्तियाँ लगा दें । एक आदमी जिसके पास केवल एक ही गुण है, यदि वह अपनी सारी क्षमताओं को उसी गुण के साथ लगा दें तो उस वयक्ति से अधिक सफलता प्राप्त कर सकता है जिसके पास दस गुण है
लेकिन एकाग्रता नहीं है ।
एकाग्रता से कार्य शक्ति को बड़ी उत्तेजना मिलती है , कमजोर मस्तिष्क को भी एकाग्रता की प्ररेणा अद्भुत प्रतिभा सम्पन्न बना देती है । पतंजलि ने योग साधन का सारा रहस्य एकाग्रता
को ही बताया है । मन की एकाग्रता का सबंध रूचि से है। रूखे और अरूचिकर विषयों में मन नहीं लगता और वहाँ से
बार -बार उचटता है।इसलिए जिस विषय पर मन लगता हो ,
उसी पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए और उसे और अधिक
रूचिकर बनाना चाहिए ।
सभी महान व्यक्ति तभी सफल हुए है जब उन्होंने पूरी एकाग्रता से काम किया । एकाग्रता से किया गया अध्ययन ,
एकाग्रता से की गई कला- साधना ही सफलता दिलाती है ।
एकाग्रता की जब बात की जाती है तो उसका अर्थ यही है कि
कि जिस काम को करना है, या जिस लक्ष्य को प्राप्त करना है
उसके लिए आप अपनी सारी शक्तियाँ लगा दें । एक आदमी जिसके पास केवल एक ही गुण है, यदि वह अपनी सारी क्षमताओं को उसी गुण के साथ लगा दें तो उस वयक्ति से अधिक सफलता प्राप्त कर सकता है जिसके पास दस गुण है
लेकिन एकाग्रता नहीं है ।
एकाग्रता से कार्य शक्ति को बड़ी उत्तेजना मिलती है , कमजोर मस्तिष्क को भी एकाग्रता की प्ररेणा अद्भुत प्रतिभा सम्पन्न बना देती है । पतंजलि ने योग साधन का सारा रहस्य एकाग्रता
को ही बताया है । मन की एकाग्रता का सबंध रूचि से है। रूखे और अरूचिकर विषयों में मन नहीं लगता और वहाँ से
बार -बार उचटता है।इसलिए जिस विषय पर मन लगता हो ,
उसी पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए और उसे और अधिक
रूचिकर बनाना चाहिए ।
सभी महान व्यक्ति तभी सफल हुए है जब उन्होंने पूरी एकाग्रता से काम किया । एकाग्रता से किया गया अध्ययन ,
एकाग्रता से की गई कला- साधना ही सफलता दिलाती है ।
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