मन
मनुष्य जीवन का चित्रण अगर हम अपने मानस
पटल पर करे तो हम पाते है कि मानव शरीर जन्म से लेकर मृत्यु तक अलग- अलग आकृतियों - विकृतियों मे ढ़लता जाता र्ह । ,परन्तु मन तो वैसा ही रहता है । मन की इच्छा ,लालसा, उन्मुक्ता अन्त तक वैसी ही बनी रहती है।
बच्चो का मन सदा प्रसन्न रहता है । यदि हम उनके बचपन को स्वतंत्र उड़ान दे तो हम पायेंगे कि प्रत्येक बच्चे के भीतर कोई ना कोई कलाकार छुपा बैठा है ।जरूरत है उस कलाकार को बाहर लाने की । बच्चो का मन कलाकार होता है ,इसीलिए वे सदा प्रसन्न रहते है। नाटककार ,चित्रकार, संगीतकार ,गायक और ना जाने कितने तरह के कलाकार आपको बचपन मे मिल जाएगें ।
जैसे- जैसे मनुष्य की उम्र बढ़ती जाती है, ये सारे कलाकार ना जाने कहाँ छुप जाते हैं । और जीवन की ऊह पोह में कब बुढ़ा हो जाता है पता ही नहीं चलता । लेकिन जब भी वह अपने मन मे झाँकता है फिर वही आशाएँ, सपने जीवित दिखाई देते हैं ।
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