बुधवार, 27 दिसंबर 2017

।। मूल्यांकन जीवन का ।।

      ।। मूल्यांकन जीवन का।।

मानव जीवन तो एक अमूल्य हीरा है, करोड़ो रूपेए देकर भी ऐसा हीरा दोबारा मिलना मुश्किल है। यह अलग बात है कि हम लोग इसकी कीमत नहीं जानते।

ईश्वर ने हमे इस जीवन मूल्य को समझने के लिए बुद्धि दी है।
अपनी-अपनी बुद्धि अनुसार , हम अपने -अपने जीवन का मूल्यांकन दुसरो के साथ करते रहते है। इसी जीवन मूल्यांकन के चक्कर मे जीवन कब समाप्त हो जाता है पता ही नहीं चलता । भूतकाल का पछतावा अौर भविष्य की चिन्ता मे हम अपना वर्तमान भुल जाते है, अपने आप को भुल जाते है।

और जीवन के अनमोल पलो का सही मूल्यांकन नहीं कर पाते ।जीवन यूँ ही निकल जाता है।

गरीब दूर तक चलता है खाना खाने के लिए तो अमीर मीलों चलता  है खाना पचाने के लिए।
किसी के पास खाने के लिए एक वक्त की रोटी नहीं है तो किसी के पास खाने के लिए वक्त ही नहीं है।

कोई लाचार है इसलिए बिमार है तो कोई बिमार है इसलिए लाचार है। कोई अपनो के लिए रोटी छोड़ देता है तो कोई
रोटी के लिए अपनो को छोड़ देता है।

सचमुच यह जीवन यूँ ही निकला जा रहा है।


धन्यवाद।

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