मकान सीमेंट, ईंट और गारे से बनता है तथा घर परिवार के सदस्यो के आपसी प्रेम व सदभावना से बनता है । जब परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे की भावनाओ का आदर करते है एवं सुख दुख में भागीदार बनते हैं तो घर मंदिर ही नहीं स्वर्ग भी बन सकता है ।
संयुक्त परिवार मे सभी सदस्यो को मिलजुलकर प्रेम के साथ रहना चाहिए ।परिवार के प्रत्येक सदस्य का यह नैतिक कर्तव्य हैकि वह एक दूसरे की भावनाओ का आदर करे, बड़ो का सम्मान करें, छोटों को प्यार करें तथा सबसे संतुलन रखकर चलें ।
पारिवार के सभी सदस्यो का भला कैसे हो ,उनका आदर सम्मान कैसे हो ,ये सब बातें जब बाते ना रहकर व्यवहारिक हो जाती है तब परिवार में प्रेम व सोहार्द बढ़ने लगता है ।
आपने भी कभी ना कभी अनुभव किया होगा कि संसार मैं हम चाहें कहीं भी रहें, कहीं भी घूम फिर आए,कितनी ही ऐशोआरम की जिन्दगी जी ले ,लेकिन वो सुख शान्ति और शुकुन हमें कहीं नहीं मिलता जो अपने घर ,अपने परिवार ,अपने झौपड़े में मिलता है ।
धन्यवाद ।🙏🙏🙏🙏🙏
संयुक्त परिवार मे सभी सदस्यो को मिलजुलकर प्रेम के साथ रहना चाहिए ।परिवार के प्रत्येक सदस्य का यह नैतिक कर्तव्य हैकि वह एक दूसरे की भावनाओ का आदर करे, बड़ो का सम्मान करें, छोटों को प्यार करें तथा सबसे संतुलन रखकर चलें ।
पारिवार के सभी सदस्यो का भला कैसे हो ,उनका आदर सम्मान कैसे हो ,ये सब बातें जब बाते ना रहकर व्यवहारिक हो जाती है तब परिवार में प्रेम व सोहार्द बढ़ने लगता है ।
आपने भी कभी ना कभी अनुभव किया होगा कि संसार मैं हम चाहें कहीं भी रहें, कहीं भी घूम फिर आए,कितनी ही ऐशोआरम की जिन्दगी जी ले ,लेकिन वो सुख शान्ति और शुकुन हमें कहीं नहीं मिलता जो अपने घर ,अपने परिवार ,अपने झौपड़े में मिलता है ।
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