सोमवार, 23 अक्टूबर 2017

॥ समय बड़ा अनमोल ॥

एक दशांश सेकेण्ड की कीमत क्या है?
पूछो ओलम्पिक में स्वर्णपदक खो देने वाले खिलाड़ी से
एक सेकेण्ड की कीमत क्या है?
पूछो जानलेवा दुर्घटना से बचे भाग्यशाली व्यक्ति से
एक मिनट की कीमत क्या है?
पूछो गाड़ी छूट जाने वाले यात्री से
एक घंटे की कीमत क्या है?
पूछो पति की राह देखती भाव विवश पत्नी से
एक दिन की कीमत क्या है?
पूछो रोज पगार पाकर पेट भरने वाले मजदूर से
एक सप्ताह की कीमत क्या है?
पूछो पिटी हुई फिल्म के प्रोड्यूसर से
एक महीने की कीमत क्या है?
पूछो उस माँ से जिसने समय से पूर्व जन्म दिया हो शिशु को
एक साल की कीमत क्या है?
पूछो परीक्षा में अनुत्तीर्ण हुए विद्यार्थी से

 आओ समय पर चलने का नियम बनाएँ।


रविवार, 15 अक्टूबर 2017

।।सभी धर्मो का ईश्वर एक ही है।।

  जिस प्रकार एक ही जल को कोई 'वारि'कहता है कोई 'पानी',कोई 'वाटर' कहता है तो कोई 'एक्वा', उसी प्रकार एक ही सच्चिदानन्द को देशभेद के अनुसार कोई 'हरि'कहता है तो कोई 'अल्लाह',कोई'गाड' कहता है तो कोई 'ब्रह्मा'।

जिस प्रकार कुम्हार के यहाँ हण्डी , गमले, सुराही,सकोरे आदि भिन्न - भिन्न वस्तुएँ होती हैं, परन्तु सभी एक ही मिट्टी की बनी होती है, उसी प्रकार ईश्वर एक होते हुए भी देश-कालादि के भेदानुसार भिन्न-भिन्न रूपों और भावों में प्रकट होते है।

ईश्वर के अनन्त नाम और अनन्त रूप हैं। जिस नाम और जिस रुप में तुम्हारी रूचि हो उसी नाम से और उसी रूप में तुम उन्हें पुकारों, तुम्हें उनके दर्शन मिलेंगे।

शनिवार, 14 अक्टूबर 2017

जीवन मंत्र

                जीवन मंत्र

  मीठा बोलने में एक कौड़ी भी ख़र्च नहीं हाती , इसलिए सदा प्रेमयुक्त , मधुर व सत्य वचन बोलें।

 दूसरों की सफलता के प्रति भी उतना ही उत्साह दिखायें,  जितना आप अपनी सफलता के प्रति दिखाते हैं।

आपके अपने स्वभाव के सिवाए कोई आपको दुःख नहीं देता। अपना स्वभाव मधुर व प्रेमयुक्त बनायें तथा सबका दिल जीतें।

आदर प्राप्त करने का एकमात्र उपाय यह है कि पहले आप दूसरों का आदर करें।

ईर्ष्या या घृणा के विचार मन में प्रवेश होते ही खुशी गायब हो जाती है। प्रेम व शुभ - भावना युक्त विचारों से उदासी दूर हो जाती है।

यदि आप प्रेमयुक्त होने के साथ -साथ नियमयुक्त होकर नहीं रह सकते तो आपमें अवश्य किसी शक्ति की कमी है। अपनी जाँच करें व उस कमी को पूरा करें।

शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2017

प्रवीणता

  एक लुहार बढिया बाण बनाने के लिए प्रसिद्ध था।अपनी प्रवीणता में उसे ख्याति प्राप्त थी।
   
        एक दूसरा लुहार बालक वैसे ही बाण बनाने की विद्या  सीखने के लिए उनके पास पहुँचा। कुछ दिन रहा भी।
       
        एक दिन धूमधाम से बारात सामने से निकल २ही थी। बाजे बज रहे थे ।लुहार ने अपनी तन्मयता में तनिक भी अंतर न आने दिया । पर वह सीखने वाला लड़का बारात देखने चला गया।

      लौटने पर उसने पूछा ! ताऊजी आपने बारात देखी ? कैसी सुंदर थी उसकी सजावट । सिखाने वाले ने कहा मैंने बाण निर्माण के अतिरिक्त और किसी काम में रत्ती भर भी मन नहीं जाने दिया। सीखने आये लड़के ने जाना कि किसी कार्य में प्रवीण - पारंगत होने का एक उपाय है - लक्ष्य में तन्मय हो जाना।

धन्यवाद।।

गुरुवार, 12 अक्टूबर 2017

।। मंदिर ।।

 
    ।।मंदिर ।।
हमारा जीवन मंदर की तरह है। आत्मा की वितराग अवस्था
ही देवत्व है ।
हम सभी में वह देवत्व शक्ति विद्यमान है। अपनी इस देवत्व शक्ति को पहचान कर उसे अपने भीतर प्रकट करने के लिए
हमने बाहर मंदिर बनाए हैआैर उनमे अपने आर्दश सिद्ध परमात्मा को स्थापित किया है।

हम जानते है और रोज देखते भी हैं कि घर तो पशु-पक्षी सभी बनाते हैं,लेकिन म्पूर मनुष्य ही बना पाता है।

गुम्बद से टकराकर गूँजती ओंकर ध्वनि , घंटे का धीमा -धीमा नाद,अभिषेक और पूजा के भाव भीने सभी वातावरण को पवित्र बनाने की सामर्थ्य छिपी है।
सवाल यह है कि कौन मंदिर में प्रवेश पाकर अपने आत्म-प्रवेश द्वार खोल पाता है।

मंदिर में विराजे भगवान की वितराग छवि को देखकर अपने राग द्वेष के बन्धन को क्षण भर के लिए छिन्न-भिन्न कर देना और अहंकार को गलाकर अपने आत्म-स्वरूप में लीन होने के लि स्वयं को भगवान के चरणों में समर्पित करते जाना ही मंदिर की उपलब्धि है।

    

बुधवार, 11 अक्टूबर 2017

।। क्या आप जानते है?

चाक:अध्यापक की तलवार है।

झगड़ा:वकीलो का कमाऊ बेटा है।

किरायेदार:मकान मालिक के लिए मंलेरिया का बुखार है।

अतिथि:बिना पूर्व सूचना के बजट की सफाई करने वाला है।

पश्चाताप:अपराध धोने का साबुन है।

एन्टीना:कबतूरों का विश्राम स्थल है।

गुस्सा:अक्ल को खो जाता है।

अहंकार:मान को खो जाता है।

चिन्ता:आयु को खो जाती है।

रिश्वत:इंसान को खा जाती है।

लालच:ईमान को खा जाती है।

मंगलवार, 10 अक्टूबर 2017

।। कीर्तन ।।

      ।।कीर्तन।।

बहुत ही विडम्बना है कि आजकल भगवान के कीर्तन आदि में भी श्रद्वा की भावना कम एवं दिखावा (आडम्बर) ज्यादा  हो गया है।
   
आयोजक कई लाखो का बजट बना लेते है। अपने को बड़ा दिखाने की होड़ में श्रृंगार एवं साज -सज्जा पर पानी की तरह पैसा बहाया जाता है। प्रसाद के नाम पर दिवा-रात्रि भोज का
आयोजन है ।

क्या ये अच्छा नहीं होता कि यह पैसा किसी परमार्थ  के काम
में लगाया जाता। भगवान तो भाव के भूखे होते है-आडम्बर के
नहीं । शर्बरी के बेर, सुदामा के तन्दुल, विदुर के  घर साग एवं
करमा बाई के खिचड़ा में भाव ही थे, जिनके कारण प्रभु को
स्वयं साक्षात आकर ग्रहण करना पड़ा ।

भगवान का कीर्तन करने वालो को सदाचारी होना चाहिए,
आडम्बरी नहीं ।


धन्यवाद ।

सोमवार, 9 अक्टूबर 2017

।।इनके लिए जीवन क्या है ।।

       इनके लिए जीवन क्या है।

 कैदी के लिए जीवन एक बंधन है।
   
  मजदूर के लिए जीवन एक श्रम है।

  आचार्य के लिए जीवन एक कर्तव्य है।

  प्राचार्य के लिए जीवन एक शिक्षा का मूल है।

 अमीर के लिए जीवन धन का संग्रह है।

 बालक के लिए जीवन एक जिज्ञासा है।

 सिंह के किए जीवन स्वतंत्रता है।

 राजकुमार के लिए जीवन फूलों की सेज है।

गुरुवार, 5 अक्टूबर 2017

।। ज्ञानामृत ।।

    ज्ञानामृत ।

लेना चाहते हो तो आशीर्वाद लो।

देना चाहते हो तो अभय दान दो।

खाना चाहते हो तो क्रोध अौर गम खाओं।

मारना चाहते हो तो बुरे विचारो को मारो।
               
                जानना चाहते हो तो भगवान को जानो
     
               जीतना चाहतो हो तो तृष्णाओं को जीतो।    
           
              पहनना चाहते हो तो नेकी का जामा पहनों ।
 
             करना चाहते हो तो दीन-दुखियों की सेवा करो ।

छोड़ना चाहते हो तो झूठ बोलना छोड़ दो।

बोलना चाहते हो तो मीठी वाणी बोलो ।

देखना चाहते हो तो अपने अवगुण देखो ।

चलना चाहते हो तो सन्मार्ग पर चलो ।
         पहचानना चाहते हो तो अपने आप को पहचानो।


       धनयवाद।

मंगलवार, 3 अक्टूबर 2017

।। मितव्ययिता ।।

      ।।

हर व्यक्ति को सुविधाओं का उपयोग करते समय मितव्ययिता
का ध्यान रखना चाहिए। यह समष्टिवादी दृष्टिकोण अपनाकर
ही हमें सबका ध्यान रखना चाहिए ।

साद्यनाजीवन जीने की कला का नाम है ।जो मानव अस्तित्व की गरिमा समझ सका और उसे अनगढ़ स्थिति से निकाल कर
सुसंस्कृत पद्वति से जी सका उसे सोर्वापरि  कलाकार कहते है ।
मेहनत  और तेज दिमाग दोनों यदि किसी व्यक्तिके पास हो तो  दुनिया के किसी भी कोने मे रहकर रोजीरोटी कमा सकता है और खुश रह सकता है।

आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसो हम सफलता के
नजदीक आते ही जा रहे है । तू कैसा पागल है कि सफलता
के इतना पास आकर हार मान बैठा है जबकि हम जीत के
बिल्डा

सोमवार, 2 अक्टूबर 2017

।।गर्व या नम्रता ।।.

          गर्व या नम्रता ।

पानी से भरे घड़े के ऊपर रखी हुई छोटी सी कटोरी ने एक दिन घड़े से कहा कि "तुम प्रत्येक बर्तन को, चाहे वह छोटा हो या बड़ा ,अपने शीतल जल से भर देते हो, किसी को भी खाली नहीं जाने देते,परन्तु मुझे कभी नहीं भरते,जबकि मैं सदा तुम्हारे सिर पर रहती हूँ आैर दूसरे सब बर्तन मेरे नीचे रहते हैं।
इतना पक्षपात क्यों? " 
   
              घड़े ने शांत स्वर में उतर दिया, " इसमें पक्षपात की कोई बात नहीं है। अन्य सब बर्तन मेरे पास आकर झुकते हैं, 
जिससे मैं उन्हें अपने शीतल जल से भर देता हूँ, परन्तु तुम तो
कभी झुकती नहीं,गर्व से चूर हमेशा मेरे सिर पर सवार रहती हो, इसलिए मैं तुम्हें भर नहीं पाता ।यदि तुम भी नम्रता से जरा
झुकना सीखो तो तुम भी खाली नहीं रहोगी । नम्रता से ही महानता प्राप्त होती है।"
   
    नम्र व्यक्ति सदा सुखी रहता है।

       धन्यवाद।

रविवार, 1 अक्टूबर 2017

संचय ।।

       संचय।
महान सम्राट सिकन्दर ने जीवन में विपुल सम्पदा एकत्रित की थी । मरने लगा तो इसने सारा खजाना आँखो के सामने खुलवा कर रखा । दरबारियों से कहा किऐसा उपाय करो कि
यह सारा इसी रूप में मेरे साथ परलोक जा सके?

बहुत सोचने पर भी ऐसा कोई उपाय न निकल सका । तब
सिकन्दर ने अपनी मृत्यु के समय जनाजे में से दोनों हाथ खुले
और बाहर रखने की व्यवस्था की, ताकि लोग समझ सकें कि मनुष्य खाली हाथ आता है और उसे खाली हाथ ही जाना पड़ता है । कफन में जेब नहीं होती ।

इससे यह भी शिक्षा मिलती है कि अनावश्यक संचय के लिए
कोई पापकर्म न करें । आज तक किसी भी जाती धर्म का
व्यक्ति ऐसा नही है जो मरते समय सब कुछ साथ ले गया हो ।
जितना समय अनावश्यक संग्रह के लिए लगाया जाता है उतना यदि सत्कर्म में लगाया जा सके तो उससे लोक परलोक
दो

किताबें

गुरू